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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2022
कब्र में यादें
मैं आज फिर उसी सागर किनारे सुखी चट्टान पर चित हो गया
जो संध्या जाते जाते डूब जाया करती है सागर के गर्भ में
जीते जी सूख गया मन अब तो मृत्यु के पश्चात ही खिलेगा
ये यादों का भार उठता नही उठाये अब तो दफन ही होगा क़ब्र में
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