सोमवार, 27 जुलाई 2020

सुबह हो गई

अत्यंत प्रयास के पश्चात हार हो गई
कही मन के कोने में रात हो गई
मेरी नींद कहाँ खो गई
आशाओं के वन में प्रयासों की माला खो गई
जैसे सपनों की दुनियां हो गयी
इस दुनियां में भी
ज़िन्दगी की प्रतिस्पर्धा हो गई
ख़ैर चलिए - इसमे ही सही
विजय तो अपनी हो गई
जीवन क्षितीज पर सुबह हो गई
सुबह हो गई
सुबह हो गई