अत्यंत प्रयास के पश्चात हार हो गई
कही मन के कोने में रात हो गई
मेरी नींद कहाँ खो गई
आशाओं के वन में प्रयासों की माला खो गई
जैसे सपनों की दुनियां हो गयी
इस दुनियां में भी
ज़िन्दगी की प्रतिस्पर्धा हो गई
ख़ैर चलिए - इसमे ही सही
विजय तो अपनी हो गई
जीवन क्षितीज पर सुबह हो गई
सुबह हो गई
सुबह हो गई
अद्भुत 😊
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से अत्यधिक आभार 🙏
हटाएंक्या खूब लिखा हे इस जमाने के उभरते हुए लेखक 👍👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन एवं सराहना के अत्यंत आभार आपका 🙏
हटाएंBhut sunder line h Ram bhaiya
जवाब देंहटाएंअत्यधिक आभार आपका भाई जी 🙏
हटाएंBahut sahi ....Ram Babu
जवाब देंहटाएंअत्यधिक आभार आपका 🙏
हटाएंBahut khub ram ji👏👏👏
जवाब देंहटाएंGood poem
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार चंचल जी 🙏
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