शुक्रवार, 3 मार्च 2023

माँ अवतारणी

तप कर सरूप अगन में कंचन
ममता लिये कुछ और मानोभावन
तेज प्रवाह लिए उतरी ब्रह्मलोक से
गौमुख से निर्गत करूणा कि गंगा सागर
लिये कुछ और नया उत्साह
किया गर्भ में सृष्टि का संचालन
होत प्रसूत मैं आपके कारण
होय स्वतः मुख से माँ शब्द उच्चारण
करती मेरा पोशण - पालन
विप्पति हो कैसी भी तेज प्रखर
आपके ही गौद में फूटता है संस्कार
आपका आँचल है सुरक्षाकवच
करता विकारों से रक्षा हर क्षण
हुई आपकी कृपा
मैं हो गया वृक्ष समान अचल
जिसके छांव के नीचे
सोकर हो गयी मेरी माँ भी अचल
हो गया पूर्ण अवतार काल
माँ लौटी संसार से अपने धाम