मंगलवार, 18 अगस्त 2020

अजनबी

के अजनबी तो अजनबी ही होते है
जैसे किसी काग़ज़ पर कलम और शब्द होते है
रिश्ता नही कोई होता
कलम और शब्दों के दरमियाँ
ये तो एक मनरूपि कागज़ ही है
जिसने कलम और शब्दों को बाँध दिया
कागज़ जब साफ होता है
तो शब्दों के बिना भाव अकाल होता है
कलम क्या सृजन करता
अगर शब्दों का कोई अर्थ ही नही होता
सच कहूँ तो एक भाव ही अपने होते है
कलम और शब्द तो अजनबी ही होते है

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. हृदय से आभार करते है आपका 🙏🙏 और आपके कमलरूपी वचनों से में प्रेरित होकर आगे भी सुंदर सृजन के लिए प्रयत्नशील रहूंगा
      अपना आशीर्वाद आप हम पर बनाये रखिये एक यही प्राथना है 😊

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  2. Aagar aap lafzo pai dhayan denge to or khubsurti se paish kr parnge
    Kyunki padte waqt main ye dhyan diya ki
    Alfazo main takat nhi ye nhi kr pa rahe apni kahani
    Apka topic mashaallah bohot acha h wase but lafz kamzor hain

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    1. आपका हृदय से अत्यधिक आभार करते है सराहना के लिए एवं आपके आपके सुझाव को हम अपने हृदय में आत्मसात करते है हम पूर्णरूप से प्रयत्न करेंगे कि अपनी लेखनी और भी निखार ला पाए। आप अपना आशीर्वाद यूँही हम पर बनाये रखिये।

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  3. हां यह सच है परन्तु आज कल लोग इस अजनबी होने का फायदा उठाकर दूसरे को ठग ने का काम भी खूब करते है।
    राम इसमें जीवन का एक सच लिखा है आपने बहुत खूब।

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    1. जसपाल जी मानव प्रवृत्ति भिन्न प्रकारो की होती है और इस तरह की प्रवृतियाँ जीवन के अंत तक रहेगी। आशा करता हूँ मेरी इस रचना के बाद मानव अपने भावनाओं के साथ साथ अन्य व्यक्तियों की भावनाओं का भी सम्मान करेगा जिससे समाज में सकारात्मक एवं शक्तिशाली भावनाओं बयार बह सके।
      जसपाल जी आपका सराहना रूपी आशीर्वाद मिला मुझे इसके लिये मैं आपका हार्दिक आभार करता हूँ।

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  4. Main khud ek master ki student hun or shukriya ki aapne mere baton pr dhyan diya jazakhair ho aap ki

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    1. मेरी प्राथना है के आपका भविष्य उज्जवल हो एवं आप वर्तमान में समाज के परिवर्तन में अपना योगदान दे। वैसे वास्तविक कवि तो पाठक ही होता है जो भावनाओं को पढ़ के एवं सुनके अनुमोदित होता है। आपका पुनः आभार व्यक्त करते है 🙏🙏 आप अपना आशीर्वाद मुझपर बनाये रखिये।

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